भजन बिना चैन ना आये राम कोई ना जाने कब हो जाये इस जीवन की शाम । भजन बिना चैन ना आये राम कोई ना जाने कब हो जाये इस जीवन की शाम ।
मगर, यह गुजरती भी नहीं, अपनों के बिना। मगर, यह गुजरती भी नहीं, अपनों के बिना।
बिछड़ के भी ये शख्स जिंदा कैसे रह गया! बिछड़ के भी ये शख्स जिंदा कैसे रह गया!
दिल दिल
मान भी जाओ ना मान भी जाओ ना
उस प्रसाद तुल्य सृजन को कृत कृत धन्य हो जाओ ना।। उस प्रसाद तुल्य सृजन को कृत कृत धन्य हो जाओ ना।।